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Swachh Bharat Mission 2.0: कचरे से बनेगी सड़के, स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत केंद्र सरकार का बड़ा कदम

Swachh Bharat Mission 2.0: केंद्र सरकार ने शहरी क्षेत्रों में कचरे की समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की प्रक्रिया को स्वच्छ भारत मिशन 2.0 से जोड़ते हुए एक नई प्रणाली बनाई है, जिसके तहत शहरी ठोस कचरे का उपयोग सड़कों के निर्माण में किया जाएगा। मंत्रालय कई महीनों से इस प्रणाली पर काम कर रहा था, और अब सरकार ने इसके लिए पूरी गाइडलाइंस जारी कर दी हैं।

उद्योगों से निकलने वाला कचरा सड़क निर्माण में होगा उपयोगी

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में बड़े पैमाने पर मिट्टी की जगह कचरे से निकलने वाली सामग्री के उपयोग को बढ़ावा दिया है। इसके साथ ही राज्यों को भी सलाह दी गई है कि वे राज्य सड़कों के निर्माण में कचरे से निकलने वाली सामग्री का उपयोग कर सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण से जुड़ी सभी संस्थाओं के साथ-साथ सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों को भी इसके लिए गाइडलाइंस जारी की हैं।

Swachh Bharat Mission 2.0: कचरे से बनेगी सड़के, स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत केंद्र सरकार का बड़ा कदम

इन गाइडलाइंस में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बताया गया है कि कैसे प्रोसेस्ड ठोस कचरा, प्लास्टिक कचरा, स्टील स्लैग (इस्पात निर्माण के दौरान उत्पन्न होने वाला कचरा) और उद्योगों से निकलने वाला कचरा सड़क निर्माण में उपयोग किया जा सकता है।

सड़क निर्माण में ठोस कचरे के उपयोग के लिए बने दिशानिर्देश

सरकार ने शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले ठोस कचरे का सड़क निर्माण में उपयोग करने के लिए विशेष दिशानिर्देश तैयार किए हैं। वर्तमान में देशभर में 2304 लैंडफिल साइटों पर लगभग 1700 लाख टन कचरा एकत्र किया गया है, जिसके कारण लगभग 10,000 हेक्टेयर भूमि घिरी हुई है। इस कचरे के प्रभाव को कम करने और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने इसे स्वच्छ भारत मिशन 2.0 और गति शक्ति अभियान के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण से जोड़ दिया है।

राजमार्ग निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसे खेतों से लिया जाता है। अब ठोस कचरे से निकलने वाली सामग्री का उपयोग करके इस मिट्टी की आवश्यकता को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी है कि ठोस कचरे के प्रसंस्करण से निकली मिट्टी का उपयोग करते हुए राजमार्ग निर्माण के दो पायलट प्रोजेक्ट्स सफल रहे हैं। अब इस प्रक्रिया को अन्य राजमार्गों के निर्माण में भी अपनाया जाएगा, और राज्यों को भी इसे अपनी सड़कों के निर्माण में उपयोग करने का अवसर मिलेगा।

तीन पक्षीय समझौतों की होगी आवश्यकता

गाइडलाइंस में इस प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से समझाया गया है कि ठेकेदार, संबंधित प्राधिकरण और निकाय किस प्रकार डीपीआर स्तर की परियोजनाओं, निर्माणाधीन परियोजनाओं और आगामी परियोजनाओं के लिए काम कर सकते हैं। सभी मामलों में तीन पक्षीय समझौतों की आवश्यकता होगी, ताकि ठोस कचरे से मिट्टी की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके।

यह सुनिश्चित किया गया है कि इस प्रक्रिया के सफल कार्यान्वयन के लिए सभी राज्यों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। यह नोडल अधिकारी ठोस कचरे से मिट्टी की आपूर्ति सुनिश्चित करने, प्रोजेक्ट्स की प्रगति की निगरानी करने और आवश्यक दिशा-निर्देशों का पालन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

यह कदम न केवल शहरी क्षेत्रों में जमा हो रहे कचरे की समस्या का समाधान करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। ठोस कचरे से मिट्टी का उपयोग करने से न केवल मिट्टी की कटाई को कम किया जा सकेगा, बल्कि लैंडफिल साइट्स पर जमा कचरे की मात्रा को भी घटाया जा सकेगा, जिससे पर्यावरण पर दबाव कम होगा।

कचरे से सड़कों का निर्माण एक नई सोच है, जो न केवल देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगी, बल्कि टिकाऊ बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी योगदान देगी। यह कदम भारतीय सड़कों को और अधिक मजबूत, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

स्वच्छ भारत मिशन 2.0 और गति शक्ति अभियान का योगदान

स्वच्छ भारत मिशन 2.0 और गति शक्ति अभियान के तहत सरकार ने ठोस कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य सड़कों के निर्माण में ठोस कचरे के उपयोग से न केवल सड़क निर्माण की लागत कम होगी, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा। यह अभियान देश के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को गति देने के साथ ही स्वच्छता को भी बढ़ावा देगा।

सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि इस नीति को लागू करने से पहले कुछ और पायलट परियोजनाओं पर काम किया जाएगा, ताकि इस प्रक्रिया की प्रभावशीलता और सुरक्षा को पूरी तरह सुनिश्चित किया जा सके।

आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ

इस पहल के जरिए देश को कई आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ मिलेंगे। ठोस कचरे से सड़कों का निर्माण करने से लैंडफिल साइट्स पर कचरे की मात्रा में कमी आएगी, जिससे उन जगहों को खाली किया जा सकेगा और उनका पुनर्विकास किया जा सकेगा। इससे नए कृषि और आवासीय क्षेत्रों के विकास के लिए भी जगह मिलेगी। इसके अलावा, कचरे के पुनर्चक्रण से पर्यावरण पर कार्बन फुटप्रिंट कम होगा, जो कि जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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